ब-नाला हासिल-ए-दिल-बस्तगी फ़राहम कर By Ghazal << उम्र-भर इश्क़ किसी तौर न ... ज़रा मोहतात होना चाहिए था >> ब-नाला हासिल-ए-दिल-बस्तगी फ़राहम कर मता-ए-ख़ाना-ए-ज़ंजीर जुज़ सदा मालूम ब-क़द्र-ए-हौसला-ए-इश्क़ जल्वा-रेज़ी है वगर्ना ख़ाना-ए-आईना की फ़ज़ा मालूम 'असद' फ़रेफ्ता-ए-इंतिख़ाब-ए-तर्ज़-ए-जफ़ा वगर्ना दिलबरी-ए-वादा-ए-वफ़ा मालूम Share on: