बू-ए-ख़ूँ ख़ंजर में रहने दीजिए बात घर की घर में रहने दीजिए ज़ुल्मत-ए-शब को न कहिए रौशनी फ़र्क़ ख़ैर-ओ-शर में रहने दीजिए अपनी यादें साथ ले जाएँ न आप रौशनी कुछ घर में रहने दीजिए वर्ना तन्हाई मुझे खा जाएगी कोई सौदा सर में रहने दीजिए आप मेरी बात का दीजे जवाब ख़ामुशी पत्थर में रहने दीजिए फ़ाश हो जाए न 'शादाँ' राज़-ए-इश्क़ शोर-ए-गिर्या घर में रहने दीजिए