बुझी बुझी सी है आँखों की रौशनी मेरी वो क्या गए कि गई साथ ज़िंदगी मेरी तिरी ख़ुशी से तो बढ़ कर नहीं ख़ुशी मेरी तिरी ख़ुशी ही पे सदक़े है ज़िंदगी मेरी बना रहा था मैं तस्वीर ग़म के मारों की ये क्या हुआ कि वो तस्वीर बन गई मेरी ज़माना कितना है मानूस मेरी हालत से बदल बदल के कहानी लिखी गई मेरी वो क्या निभाएँगे अब ख़ाक दर्द का रिश्ता उन्हें तो लगती है सूरत भी अजनबी मेरी सभी थे डूबे हुए अपने जाम-ओ-साग़र में कोई तो देखता आँखों की तिश्नगी मेरी ख़याल आप का आया तो भर गईं आँखें हयात कितनी है हस्सास आज भी मेरी अभी से आइना क्यों रख दिया मिरे आगे अभी तो वक़्त ने देखी नहीं छबी मेरी मैं देखता रहा आँखों से अपनी बर्बादी किसी ने लूट ली दुनिया से हर ख़ुशी मेरी चलो ख़याल तो आया उन्हें कभी मेरा ये और बात कि हसरत निकल गई मेरी मैं इस फ़रेब में जीता रहा 'सहर' अब तक कि उन के वास्ते सब कुछ है ज़िंदगी मेरी