सरकार मेरे इश्क़ का मेआ'र देखना लाया हूँ आप के लिए मैं कार देखना मैं छींक छींक कर हुआ बीमार देखना निस्वार-ए-वा'ज़ देते हो मिक़दार देखना लाखों हुए हैं शहर में बे-कार देखना बावर न हो तो आज का अख़बार देखना अर्ज़ां लगे न दिल मिरा तो ऐ मिरे अज़ीज़ सौ बार जा के इश्क़ का बाज़ार देखना कहता है कौन शैख़ जी मग़रिब पसंद हैं पतलून चुस्त के तले शलवार देखना 'बुलबुल' को चोंच मारने आओ तो सोच कर तलवार सी है उस की भी मिंक़ार देखना