बुरा क्या कर नहीं सकते हैं लेकिन हम नहीं करते

बुरा क्या कर नहीं सकते हैं लेकिन हम नहीं करते
ख़ता क्या कर नहीं सकते हैं लेकिन हम नहीं करते

तेरे ज़ुल्म-ओ-तशद्दुद का तेरी शोला-बयानी का
गिला क्या कर नहीं सकते हैं लेकिन हम नहीं करते

हम अपनी नस्ल के इस ज़र्द और सूखे गुलिस्ताँ को
हरा क्या कर नहीं सकते हैं लेकिन हम नहीं करते

हमारी दस्तरस में है भलाई फिर ग़रीबों का
भला क्या कर नहीं सकते हैं लेकिन हम नहीं करते

दिलों से हर वो ख़्वाहिश जो हमें बर्बाद करती है
जुदा क्या कर नहीं सकते हैं लेकिन हम नहीं करते

बहम नफ़रत के नासूरों की जो सीनों में पलते हैं
दवा क्या कर नहीं सकते हैं लेकिन हम नहीं करते

हम अपने ख़ून से कर के वुज़ू अब भी नमाज़-ए-हक़
अदा क्या कर नहीं सकते हैं लेकिन हम नहीं करते


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