बुराई को बुरा समझो भलाई को भला समझो इसी को इब्तिदा समझो इसी को इंतिहा समझो मुसीबत को मुसीबत जान कर बिल्कुल न घबराओ बलाएँ ख़ुद नहीं आतीं मुक़द्दर का लिखा समझो अदावत से पनप सकता नहीं कोई ज़माने में मोहब्बत को तुम अपनी ज़िंदगी का मुद्दआ' समझो घरों को तुम जलाते हो दुकानें लूट लेते हो अगर कार-ए-जुनूँ है ये तो फिर ख़ुद को बुरा समझो हवा-ए-तुंद कश्ती को डुबो सकती नहीं 'शम्सी' ख़ुदा हर शय पे क़ादिर है उसी को नाख़ुदा समझो