काँटों तुम्हें फूलों की चुभन याद रहेगी भूलोगे कि रूदाद-ए-चमन याद रहेगी क्या भूलने देगी वो मुझे रात-की-रानी वो ज़ुल्फ़ वो ख़ुशबू-ए-बदन याद रहेगी ये ज़ख़्म-ए-दिल-ए-ज़ार तो भर जाएगा इक दिन लेकिन तिरे माथे की शिकन याद रहेगी था साया-फ़गन जिस पे कोई फ़त्ह का परचम वो लाश भी बे गोर-ओ-कफ़न याद रहेगी मंज़िल पे मज़ा देगी मुझे लज़्ज़त-ए-मंज़िल या'नी मुझे क़दमों की थकन याद रहेगी ये सच है मुझे दाद की ख़्वाहिश नहीं 'सौलत' ना-क़द्री-ए-अर्बाब-ए-सुख़न याद रहेगी