दिल को दिल से काम रहेगा By Ghazal << मुझे कैफ़-ए-हिज्र अज़ीज़ ... काँटों तुम्हें फूलों की च... >> दिल को दिल से काम रहेगा दोनों तरफ़ आराम रहेगा सुब्ह का तारा पूछ रहा है कब तक दौर-ए-जाम रहेगा बदनामी से क्यूँ डरते हो बाक़ी किस का नाम रहेगा ज़ुल्फ़-ए-परेशाँ ही अच्छी है आलम ज़ेर-ए-दाम रहेगा मुफ़्ती से झगड़ा न 'अदम' कर उस से अक्सर काम रहेगा Share on: