चाहतों की जो दिल को आदत है ये भी इंसाँ की इक ज़रूरत है हम फ़रिश्ते कहाँ से बन जाएँ इश्क़ इंसान की जिबिल्लत है कौन आया है कौन आएगा बे-सबब जागने की आदत है क्या मिलेंगे जो खो गए इक बार भीड़ में ढूँढना क़यामत है उन के अंदाज़ दुश्मनी में भी दोस्ती की अजब शबाहत है मेरे अंदर जो मेरा दुश्मन है हू-ब-हू वो मिरी ही सूरत है उन के वा'दों से ये हुआ मा'लूम झूट सब से बड़ी सदाक़त है इस क़दर दूर क्यूँ निकल आए अब तो घर लौटना क़यामत है उन के लहजे में उन की बातों में चाँदनी-रात की सबाहत है ये कहानी भी ख़ूब है यारो हर जगह एक सी इबारत है 'वज्द' यादों में उन की ग़म रहना राहतों की हज़ार राहत है किस लिए 'वज्द' दिल-गिरफ़्ता हो दुश्मनी दोस्तों की आदत है