चाहता है कोई वा'दा न वफ़ा चाहता है कोई जा कर उसे पूछे कि वो क्या चाहता है यूँ तो सब कार-ए-ज़ियाँ है मगर ऐ कार-ए-जुनूँ दिल ने इक उम्र जो चाहा वो हुआ चाहता है ये तिरा हुस्न ये ख़ुशबू ये हवा-ए-क़ुर्बत मैं नहीं चाहता ये वस्ल ख़ुदा चाहता है नींद ऐसी है कि मिस्मार हुई चाहती है ख़्वाब ऐसा है कि ता'बीर हुआ चाहता है कौन है जो मुझे गिर्या नहीं करने देता कौन है जो मिरी आँखों का बुरा चाहता है