चाहता हूँ कि तिरा हिज्र मुसीबत न लगे अब कोई ज़ख़्म तिरे ग़म की बदौलत न लगे उस की यादों का सफ़र ख़त्म करूँ रोए बग़ैर ग़ैर मुमकिन है कि इस काम में हिकमत न लगे ज़र्फ़ टूटे हुए कश्कोल से गिर सकता है ऐसी इमदाद से बचना जो सख़ावत न लगे शहर-दर-शहर मुझे ख़ाक उड़ानी है मगर इस पे ये शर्त मसाफ़त भी मसाफ़त न लगे आओ आ'माल-तराशी की रीहरसल कर लें ताकि जब उस को पुकारें तो मशक़्क़त न लगे एक सज्दा मिरी पेशानी को दरकार है जो हस्ब-ए-तौफ़ीक़ लगे हस्ब-ए-ज़रूरत न लगे तब मैं समझूँगा कि इस नफ़्स ने खाई है शिकस्त राएगाँ शय जो मुझे माल-ए-ग़नीमत न लगे