चाहते हो अगर हुनर पूरा इस में लग जाएगा जिगर पूरा या तो हो जाएँ इस में पूरे ग़र्क़ या करें इश्क़ से हज़र पूरा जानता हूँ कि ख़ैर-ख़्वाह तिरे तुझ को रखते हैं बा-ख़बर पूरा मशवरा उस मुशीर से मत कर हो जो आधा इधर उधर पूरा फूल ख़ुशबू से भर गए 'बासिर' चाँद चमका है रात भर पूरा