चैन मिलता नहीं घर में भी क़यामत क्या है उठ के सौ बार मैं बैठा हूँ ये वहशत क्या है उस से बे-मेहरी-ओ-फ़ुर्क़त की शिकायत क्या है जिस को ये भी नहीं मालूम मोहब्बत क्या है पी के इक जाम जो बेहोश बना है ज़ी-होश मय की तासीर है साक़ी की करामत क्या है वज्ह-ए-आज़ार है ख़ुद जिन के लिए तूल-ए-हयात उन को अंदेशा-ए-शाम-ओ-शब-ए-फ़ुर्क़त क्या है दीजिए हुक्म तो बीमार की मुश्किल हल हो काम कर लेगी अजल आप को ज़हमत क्या है हाल इस्याँ का गुनहगार बयाँ कर देंगे उन से पूछेगी जो आ कर तिरी रहमत क्या है मौत से कहते हैं वो जा के कभी देख तो आ मेरे बीमार-ए-शब-ए-हिज्र की हालत क्या है आप क्या जानें गुज़रती है जो इस पर शब-ओ-रोज़ आप क्या जानें कि दिल की मिरे हालत क्या है गिर्द-ए-मय-ख़ाना लगाता है हज़ारों चक्कर साफ़ कह हम से कि वाइज़ तिरी निय्यत क्या है तारे गिन गिन के शब-ए-हिज्र गुज़र जाती है नींद दम भर नहीं आती ये मुसीबत क्या है शूमी-ए-बख़्त की 'मसऊद' हो क्या फ़िक्र मुझे शुक्र हर हाल में लाज़िम है शिकायत क्या हे