चलिए हम बीमार भी हो जाएँगे आप फिर तो देखने को आएँगे ये तमाशा ख़त्म ही होता नहीं इस जहाँ में इश्क़ नईं दोहराएँगे टूटे पत्ते कह रहे हैं शाख़ से बाग़बानी हम तुम्हें सिखलाएँगे आने का वा'दा करेंगे पहले तो बाद में मजबूरियाँ बतलाएँगे वापसी में इक बुराई ये भी है सब मिरी नाकामियाँ गिनवाएँगे