हमारी राह से पलकों को आश्ना रखना कभी हम आएँ तो ख़्वाबों का दर खुला रखना हमेशा मिलने मिलाने से वास्ता रखना किया है प्यार तो जारी ये सिलसिला रखना क़रीब आ के ज़माना फ़रेब देता है जो हो सके तो ज़माने से फ़ासला रखना नहीं है कोई हक़ीक़त-पसंद दुनिया में कभी किसी के मुक़ाबिल न आइना रखना वो ख़त जो लिखते हो तुम मेरे नाम ख़ल्वत में मिरा अमल है उसे पढ़ना चूमना रखना सफ़र में हूँ मुझे ताख़ीर हो भी सकती है सताएँ हिज्र के लम्हे तो हौसला रखना 'नसीम' हो गए अपने ही जब कि बेगाने तो आरज़ू-ए-वफ़ा भी किसी से क्या रखना