चलो इक बार हो जाते हैं फिर सैराब तुम से हम चलो फिर सीखते हैं इश्क़ के आदाब तुम से हम चलो फिर ज़िंदगी घुट घुट के जीना बंद करते हैं चलो मिलते हैं ले कर फिर दिल-ए-बे-ताब तुम से हम चलो हम बात करते करते करते हैं सवेरा फिर चलो फिर रात-भर खाते हैं पेच-ओ-ताब तुम से हम चलो फिर से गुज़ारें रात दोनों आँखों आँखों में चलो फिर से चुराते हैं तुम्हारे ख़्वाब तुम से हम चलो फिर देखते रहते हैं हम इक दूसरे को बस चलो फिर पूछते हैं चुप के सब अस्बाब तुम से हम चलो फिर तुम से हम करते हैं ज़िद आईना बनने की चलो फिर करते हैं ख़ुद को ज़रा शादाब तुम से हम चलो 'शाहिद' को बख़्शा है अगर कुछ हौसला तुम ने चलो होते रहेंगे अब मोहब्बत-याब तुम से हम