दिखावे की है जो हर-सू ये ग़म-ख़्वारी अदाकारी जहाँ देखो दिखाई दे रिया-कारी अदाकारी अना के मा'नी-ओ-मफ़्हूम से वाक़िफ़ नहीं हैं जो समझते हैं हमेशा मेरी ख़ुद्दारी अदाकारी मैं जिस के सामने रोने नहीं देता हूँ आँखों को वो कहता है मिरी आँखों की लाचारी अदाकारी उसे तो अपने चेहरे पर लगाने हैं कई चेहरे भला कैसे करे सच की तरफ़-दारी अदाकारी ख़ुदा मासूम ही सब भेजता है अपनी दुनिया में कहाँ हम सीखते हैं जा के मक्कारी अदाकारी तिरे इस्टेज पर मुझ को बड़े किरदार जीने हैं मिरे मालिक अभी मुझ पर रहे तारी अदाकारी मिरी ख़ुश-क़िस्मती कहिए कि सरकारी मुलाज़िम हूँ मैं हर पल देखता रहता हूँ सरकारी अदाकारी मैं 'शाहिद' हो के कैसे झूट से रिश्ते निभाऊँगा समझती है मिरे अंदर की बीमारी अदाकारी