चमक चमक के सितारो मुझे फ़रेब न दो तुम अपनी रात गुज़ारो मुझे फ़रेब न दो तिलिस्म टूट गया है तुम्हारी उल्फ़त का मिरी हवस को पुकारो मुझे फ़रेब न दो में जानता हूँ तुम्हारी हक़ीक़त-ए-हस्ती ख़िज़ाँ-नसीब बहारो मुझे फ़रेब न दो लगे हुए हैं यहाँ फूल फूल से काँटे मिरे चमन के नज़ारो मुझे फ़रेब न दो तड़प तड़प न उठो आज मेरे अरमानो भड़क भड़क के शरारो मुझे फ़रेब न दो उमीद-ए-वादा-ए-फ़र्दा न मुझ को दिलवाओ मैं ग़म-नसीब हूँ यारो मुझे फ़रेब न दो