चंदा बोला पिछली रात आ जा प्यारे चर्ख़ा कात एक ख़याल का दूल्हा है पीछे लफ़्ज़ों की बारात दिल का खेल मुक़ाबिल जान हँस कर मैं ने खाई मात आज मिला ऐसे कोई जैसे बिन बादल बरसात इक दूजे को दें इल्ज़ाम शायद यूँ बदलें हालात ख़ुशियाँ भी यूँ मिलती हैं जैसे नाज़िल हों आफ़ात