चाँदनी रात है तारों का जहाँ है ऐ दोस्त ज़िंदगी साहिल-ए-दरिया पे रवाँ है ऐ दोस्त अश्क-शोई के लिए अब भी हैं दामन लर्ज़ां ज़िंदगी आज भी इक ख़्वाब-ए-गिराँ है ऐ दोस्त अब भी मायूस हैं वाबस्ता-ए-तक़दीर हैं दिल अब भी उठता हुआ सीने से धुआँ है ऐ दोस्त कितने बे-रंग से ख़ाकों में लहू भरती हूँ दिल की धड़कन से मिरा रिश्ता-ए-जाँ है ऐ दोस्त दिल के दाग़ों ही से तज़ईन-ए-गुलिस्ताँ की है क़ाबिल-ए-दीद बहारों का समाँ है ऐ दोस्त जब्र क्या चीज़ है बे-दाद की क़ीमत क्या है ज़ेहन आज़ाद है एहसान जवाँ है ऐ दोस्त दश्त तो दश्त था गुलशन में भी वहशत सी है कारवाँ कौन सी मंज़िल में रवाँ है ऐ दोस्त ये नया साल है निखरी हुई फ़िक्रों का अमीं यही सरमाया यही गंज-ए-गराँ है ऐ दोस्त