चराग़ जल भी रहा है हवा का डर भी है मिरी दुआओं पे लेकिन तिरी नज़र भी है घरों को फूँकने वाले ज़रा ये देख भी ले उसी गली में सुना है कि तेरा घर भी है मैं घर से निकलूँ तो बे-ख़ौफ़ हो निकलता हूँ कि मेरी माँ की दुआ मेरी हम-सफ़र भी है अभी से फ़ित्ना-ए-दुनिया से डर गए यारो अभी तो फ़ित्ना-ए-अफ़्लाक की ख़बर भी है उसी के प्यार से रौशन है ज़िंदगी मेरी उसी के प्यार से लेकिन बहुत सा डर भी है 'नदीम' आस में बैठे कि फिर से जी उट्ठें कि उस के हाथ में सुनते हैं ये हुनर भी है