छनक छनक सी पायल पायल नाचे शोख़ नशीली मिट्टी बिकती जाए नगरी नगरी बदन बदन चमकीली मिट्टी करवट करवट दर्द छुपा कर पलकों पर सपने बिखरा कर अश्कों से हम गूँध रहे हैं काली नीली पीली मिट्टी छोड़ के मत तुम जाना हरगिज़ बस्ती के अलबेले लोगो देगी रोज़ सदाएँ तुम को बस्ती की रंगीली मिट्टी पलकों का संगीत सुना कर चाहत की ख़ुशबू लहरा कर मन आँगन में धूप बिछाए मुट्ठी भर चमकीली मिट्टी धड़कन धड़कन में बस जाए क़ुर्बत क़ुर्बत दिल बहलाए दिलबर दिलबर रास रचाए पग पग सुघड़ सजीली मिट्टी शहर-ओ-क़र्या घूम गई है मन मस्ती में झूम रही है महलों की मेहराब बनी है गाँव की शर्मीली मिट्टी उमड रहा है बे-कल बे-कल प्रेम का दरिया तूफ़ाँ तूफ़ाँ हुमक रही है आज घड़े की कच्ची कच्ची पीली मिट्टी कुम्हारन ने चाक चलाया बे-कल सा जादू दिखलाया रूप रूप में ढलती जाए चंचल छैल-छबेली मिट्टी हौले-हौले चल ऐ राही सँभल सँभल कर नर्म-रवी से मैं भी थी सरताज किसी की बोल रही है गीली मिट्टी