छटी है राह से गर्द-ए-मलाल मेरे लिए कि झूमती है हवा डाल डाल मेरे लिए हुआ है क्या करूँ जीना मुहाल मेरे लिए मिरे ही शहर से मुझ को निकाल मेरे लिए कोई भी काम नहीं हो सका है फ़ुर्सत में कि कम पड़े हैं बहुत माह-ओ-साल मेरे लिए वो कौन है जो मिरी आरती उतारेगा सजा के रक्खा है किस ने ये थाल मेरे लिए मैं फूँक फूँक के चलता हूँ राह में उस की क़दम क़दम पे बिछाए हैं जाल मेरे लिए कहीं पे हो गए पज़मुर्दा फूल आँगन में हुआ है सब्ज़ा कहीं पाएमाल मेरे लिए खुला ये राज़ रिहाई के बअ'द ही मुझ पर बनाया उस ने मुझे यर्ग़माल मेरे लिए मिरा दिमाग़ है माऊफ़ दिल उदास बहुत हुआ है जिस्म भी मेरा निढाल मेरे लिए हुए हैं रास्ते मसदूद क्यूँ मिरे 'हमदम' जुनूब मेरे लिए था शुमाल मेरे लिए