छेड़ने हम को यार आज आया बारे कुछ चहल पर मिज़ाज आया तख़्त शाही का किस को भाता है ख़ुश हमें फ़क़्र ही का ताज आया किश्त-ए-दिल फ़ौज-ए-ग़म ने की ताराज तिस पे तू माँगने ख़िराज आया तू ने क्या क्या उसे ब-तंग किया ले के तुझ तक जो एहतियाज आया की दवा दर्द-ए-दिल की बहुतेरी रास कोई न पर इलाज आया मर गया कल ही 'जुरअत'-ए-बीमार तू अयादत को उस की आज आया