छेड़िए साज़-ए-ज़िंदगी नग़्मा-नवाज़ हो न हो आह तो कर के देखिए सोज़ में साज़ हो न हो देखिए काबिल-ए-क़ुबूल अपनी नमाज़ हो न हो सज्दा तो कर जबीन-ए-शौक़ दर-गह-ए-नाज़ हो न हो पीर-ए-मुग़ाँ के नाम पर साक़ी हर इक को मस्त कर आज के बाद साल भर मै-कदा-बाज़ हो न हो ज़ब्त-ए-ग़म वुफ़ूर-ए-शौक़ और दिल-ए-ना-सुबूर-ए-इश्क़ मुझ को तो है ग़ुरूर-ए-इश्क़ आप को नाज़ हो न हो मस्त फ़ज़ा बहार मस्त मस्त 'हयात' यार मस्त मस्त हो बार बार मस्त हुक्म-ए-जवाज़ हो न हो