छोड़ो ये बात-चीत भी किस का है क्या हुआ अच्छा हुआ है यार जो अच्छा बुरा हुआ धीरे से चलना चाहिए था भागने लगे हम ने ख़राब कर लिया रस्ता बना हुआ आँखों का लम्स जिस्म के हाथों में सौंप कर उस ने चराग़ गुल किया आधा जला हुआ आधा अधूरा हिज्र जवानी चबा गया आधे अधूरे इश्क़ में बचपन हवा हुआ दिल का मोआ'मला भी है कुछ इस तरह का दोस्त ताज़ा सा एक ज़ख़्म हो जैसे दुखा हुआ चकरा रहे हैं वाक़ई हम या मिरे 'सफ़ीर' पंखा सा घूमता है फ़लक से लगा हुआ