गुज़रे जिधर से नूर बिखेरे चले गए वो हम-सफ़र हुए तो अँधेरे चले गए अब मैं हूँ और शिद्दत-ए-ग़म की है तेज़ धूप उन गेसुओं के साए घनेरे चले गए मेरे तफ़क्कुरात को डसती रही थी जो नागिन चली गई वो सपेरे चले गए उम्मीद के शजर पे वो हलचल नहीं रही चिड़ियाँ गईं तो रैन बसेरे चले गए अंधे सफ़र को घर से मैं निकला था दोस्तो आई जब उन की याद अँधेरे चले गए आतिश ने मेरे घर को जलाया तो क्या हुआ कुछ देर के लिए तो अँधेरे चले गए 'हसरत' मैं बे-क़रार हूँ लुटने के वास्ते जाने कहाँ हसीन लुटेरे चले गए