छोटी सी ये बात सही पर खींचे है ये तूल मियाँ जीवन भर का रोग बने है दो आँखों की भूल मियाँ काँटों ने जो ज़ख़्म लगाए वो माना भर जाएँगे उन ज़ख़्मों को कैसे भरोगे जिन को लगाएँ फूल मियाँ सुख ढूँडोगे दुख पाओगे प्रीत के बदले जलते आँसू रीत यही इस जग की प्यारे इस जग का मामूल मियाँ प्यार वफ़ा का चलन न हो गर दिल से दिल को राह न हो ऐसी रविश तो इस दुनिया को कर देगी मजहूल मियाँ रूप की देवी राम न होगी चिल्ला खींचो जोग करो लाख लगाओ तुम आँखों से उन चरनों की धूल मियाँ 'सय्यद'-जी के गीत कबत सब सुनते हैं सर धुनते हैं प्रेम-कथा के रसिया इक दिन खोलेंगे स्कूल मियाँ