क़फ़स को ले के उड़ना पड़ रहा है ये सौदा मुझ को महँगा पड़ रहा है मिरी हर इक मसाफ़त राएगाँ थी मुझे तस्लीम करना पड़ रहा है सुना है एक जादू है मोहब्बत ये जादू है तो उल्टा पड़ रहा है मोहब्बत है हमें इक दूसरे से ये आपस में बताना पड़ रहा है जो रहना चाहता है ला-तअल्लुक़ तअल्लुक़ उस से रखना पड़ रहा है समझती थी बहुत आसान जिन को उन्हीं कामों में रख़्ना पड़ रहा है हुई जाती है फिर क्यूँ दूर मंज़िल मिरा पाँव तो सीधा पड़ रहा है मैं किन लोगों से मिलना चाहती थी ये किन लोगों से मिलना पड़ रहा है मैं अब तक मर नहीं पाई हूँ 'शबनम' सो अब तक मुझ को जीना पड़ रहा है