क्यूँकर आऊँ मियाँ पलट कर मैं ख़ुश बहुत हूँ उसे लिपट कर मैं दोस्तो हूँ बड़ा बड़े घर का इस लिए रह गया हूँ बट कर मैं मुझ को मिलना था हर किसी से और जाने क्यों रह गया हूँ कट कर मैं मेरा उस्लूब मेरा अपना है सोचता हूँ सभी से हट कर मैं मेरे अंदर है इश्क़ का बारूद सो दिखाऊँगा तुझ को फट कर मैं नींद से हाथा-पाई करनी थी गिर पड़ा ख़्वाब पर झपट कर मैं इश्क़ था दर्द का सबक़ 'मन्नान' और उसे आ गया हूँ रट कर मैं