दामन-ए-तार-तार के क़िस्से छिड़ गए हैं बहार के क़िस्से मय बरसने लगी निगाहों से बे-पिए भी ख़ुमार के क़िस्से दिल परेशाँ है तो सुनाए जा मौसम-ए-ख़ुश-गवार के क़िस्से चश्म-ए-तर में तसव्वुर-ए-फ़ुर्क़त नोक-ए-मिज़्गाँ पे ख़ार के क़िस्से शाम-ए-हिज्राँ बड़े रसीले थे आँख में इंतिज़ार के क़िस्से रात दश्त-ए-वफ़ा में ख़ूब चले चश्म-ए-आहू-शिकार के क़िस्से सुन सकोगे सुनाए गर 'आसी' दार-ए-हस्ती पे यार के क़िस्से