दर दर फिरते लोगों को दर दे मौला बंजारों को भी अपना घर दे मौला जो औरों की ख़ुशियों में ख़ुश होते हैं उन का भी घर ख़ुशियों से भर दे मौला ज़ुल्म-ओ-सितम हो ख़त्म न हो दहशत-गर्दी अम्न-ओ-अमाँ की यूँ बारिश कर दे मौला भूके प्यासे मुफ़्लिस और यतीम हैं जो नज़र-ए-इनायत उन पर भी कर दे मौला जो करते हैं ख़ून-ख़राबा ज़ुल्म-ओ-सितम उन के भी दिल में थोड़ा डर दे मौला