दर्द बढ़ता ही रहे ऐसी दवा दे जाओ कुछ न कुछ मेरी वफ़ाओं का सला दे जाओ यूँ न जाओ कि मैं रो भी न सकूँ फ़ुर्क़त में मेरी रातों को सितारों की ज़िया दे जाओ एक बार आओ कभी इतने अचानक-पन से ना-उमीदी को तहय्युर की सज़ा दे जाओ दुश्मनी का कोई पैराया-ए-नादिर ढूँडो जब भी आओ मुझे जीने की दुआ दे जाओ वही इख़्लास-ओ-मुरव्वत की पुरानी तोहमत दोस्तो कोई तो इल्ज़ाम नया दे जाओ कोई सहरा भी अगर राह में आए 'अनवर' दिल ये कहता है कि इक बार सदा दे जाओ