दर्द की नीली रगें यादों में जलने के सबब

दर्द की नीली रगें यादों में जलने के सबब
सारी चीख़ें रोक लेती हैं सँभलने के सबब

दर्द की नीली रगें तो शोर करती हैं बहुत
पैकर-ए-नाज़ुक में इस दिल के मचलने के सबब

दर्द की नीली रगें बर्फ़ाब बिस्तर में पड़ी
टूट जाती हैं तिरे ख़्वाबों में चलने के सबब

दर्द की नीली रगें उम्रों के नीले फेर को
ज़र्द करती जाती हैं सहरा में पलने के सबब

दर्द की नीली रगें हाथों में दो-शीज़ाओं के
चूड़ियाँ तक तोड़ देती हैं बिखरने के सबब

दर्द की नीली रगें ठंडी हवा से अश्क-रेज़
सुर्ख़ होती रहती हैं आँसू निगलने के सबब

दर्द की नीली रगें 'नैनाँ' समुंदर बन गईं
हिज्र की रातों का पहला चाँद ढलने के सबब


Don't have an account? Sign up

Forgot your password?

Error message here!

Error message here!

Hide Error message here!

Error message here!

OR
OR

Lost your password? Please enter your email address. You will receive a link to create a new password.

Error message here!

Back to log-in

Close