दिल की राहें ढूँडने जब हम चले हम से आगे दीदा-ए-पुर-नम चले तेज़ झोंका भी है दिल को नागवार तुम से मस हो कर हवा कम कम चले थी कभी यूँ क़द्र-ए-दिल इस बज़्म में जैसे हाथों-हाथ जाम-ए-जम चले हाए वो आरिज़ और उस पर चश्म-ए-नम गुल पे जैसे क़तरा-ए-शबनम चले आमद-ए-सैलाब का वक़्फ़ा था वो जिस को ये जाना कि आँसू थम चले कहते हैं गर्दिश में हैं सात आसमाँ अज़-सर-ए-नौ क़िस्सा-ए-आदम चले खिल ही जाएगी कभी दिल की कली फूल बरसाता हुआ मौसम चले बे-सुतूँ छत के तले इस धूप में ढूँडने किस को ये मेरे ग़म चले कौन जीने के लिए मरता रहे लो सँभालो अपनी दुनिया हम चले कुछ तो हो अहल-ए-नज़र को पास-ए-दर्द कुछ तो ज़िक्र-ए-आबरू-ए-ग़म चले कुछ अधूरे ख़्वाब आँखों में लिए हम भी 'अख़्तर' दरहम ओ बरहम चले