दर्द को अश्क बनाने की ज़रूरत क्या थी था जो इस दिल में दिखाने की ज़रूरत क्या थी हम ने जो कुछ भी किया अपनी मोहब्बत में किया गो समझते हैं ज़माने की ज़रूरत क्या थी हो जो चाहत तो टपक पड़ती है ख़ुद आँखों से ऐ मिरे दोस्त बताने की ज़रूरत क्या थी इतने हस्सास हैं साँसों से पिघल जाते हैं बिजलियाँ हम पे गिराने की ज़रूरत क्या थी ऐसे लगता है कि कमज़ोर बहुत है तू भी जीत कर जश्न मनाने की ज़रूरत क्या थी