दर्द-ओ-ग़म का जहान बाक़ी है इश्क़ की दास्तान बाक़ी है आहटें सुन रहा हूँ यादों की कुछ न कुछ दरमियान बाक़ी है हम सरापा यक़ीन कब ठहरे दिल में अब भी गुमान बाक़ी है जा चुका है मकीन दुनिया से अब तो ख़ाली मकान बाक़ी है जिस में रहते हों सब मोहब्बत से अब कहाँ वो जहान बाक़ी है तुम निहत्था नहीं समझना मुझे अब भी टूटी कमान बाक़ी है