दर्द-ए-ग़म-ए-फ़िराक का दरमाँ न हो सका ज़ुल्मत-कदे में दिल के चराग़ाँ न हो सका होश-ओ-ख़िरद से दौर-ए-जुनूँ की हुदूद में कुछ एहतिमाम-ए-जश्न-ए-बहाराँ न हो सका उन की ख़ुशी के वास्ते मैं मुस्कुरा दिया लेकिन शगुफ़्ता दिल का गुलिस्ताँ न हो सका शम-ए-हयात बुझने को हर चंद है मगर अफ़्साना-ए-हयात का उनवाँ न हो सका आई बहार आ के चमन से गुज़र गई फिर भी रफ़ो-ए-चाक-ए-गरेबाँ न हो सका नासेह की कोशिशें तो हुईं राएगाँ मगर 'असलम' तमाम उम्र मुसलमाँ न हो सका