दरिया में तुग़्यानी है बस्ती बस्ती पानी है आह कि जंगल हैं आबाद शहरों में वीरानी है मुश्किल से अब क्या डरना इस में ही आसानी है दुनिया की क्या चाह करें दुनिया आनी-जानी है उस को तो पछताना है जिस ने दिल की मानी है मैं भी मन का राजा हूँ वो भी दिल की रानी है ऐ दिल उस को भूल भी जा ये कैसी मन-मानी है मौत से 'गौहर' डरना क्या मौत तो इक दिन आनी है