दरिया-ए-तुंद-मौज को सहरा बताइए सीधा भी हो सवाल तो उल्टा बताइए जैसा भी है वो सामने सब के है किस लिए ऐसा बताइए उसे वैसा बताइए क्यूँ छोड़ कर गया था वो क्यूँ फिर से आ गया आगे बता भी सकते थे अब क्या बताइए महफ़िल की रौनक़ें हों कि बाज़ार का हुजूम ये दिल जहाँ भी हो इसे तन्हा बताइए या क़त्ल कीजिए उसे अपने ही नाम पर या अजनबी को शहर का रस्ता बताइए जिस की कभी झलक भी न देखी हो उम्र भर तू ही बता 'ज़फ़र' उसे कैसा बताइए