दरमियाँ फ़ासला नहीं होगा हम से शिकवा-गिला नहीं होगा उम्र भर चाहे उस से मिल न सकें वो मगर बेवफ़ा नहीं होगा ख़ाक हो जाएँ गर तिरी ख़ातिर इश्क़ में ये बुरा नहीं होगा उम्र भर मुझ पे जो रहा तारी क्या मुझे सोचता नहीं होगा तुम को सौ यार मिल गए होंगे हम सा पागल मिला नहीं होगा ढूँडिए तो मिलेगी राह नई एक ख़्वाहिश से क्या नहीं होगा कोशिशें लाख कर के देखो तुम गर न चाहे ख़ुदा नहीं होगा याद आएगी कुछ दिनों उस की फिर तो ये सिलसिला नहीं होगा शहर से गाँव लौटूँ तो 'साहिल' गाँव अब पहले सा नहीं होगा