दश्त है कौन-ओ-मकाँ और ला-मकाँ दूर तक वहम-ओ-गुमाँ और ला-मकाँ इब्तिदा न इंतिहा न रास्ता मैं अबद के दरमियाँ और ला-मकाँ एक धड़का ख़ाक में डाला हुआ एक सा’इ-ए-राएगाँ और ला-मकाँ जल-बुझा है आग में मेरा पड़ाओ चार-सू मेरा धुआँ और ला-मकाँ इक ज़मीन-ए-बे-यक़ीनी मेरे साथ इक गुमान-ए-ला-गुमाँ और ला-मकाँ एक सहरा ज़ात से आगे कहीं एक हिजरत दरमियाँ और ला-मकाँ बादलों में गुम हुए जाते हैं सब कारवाँ-दर-कारवाँ और ला-मकाँ एक सय्यारा मिरे रस्ते में है वर्ना मैं था आसमाँ और ला-मकाँ