एक 'आलम है जहाँ बे-सर-ओ-सामानी है कौन आएगा यहाँ बे-सर-ओ-सामानी है इक कलीसे से धुआँ बे-सर-ओ-सामानी है एक मस्जिद से अज़ाँ बे-सर-ओ-सामानी है एक दरिया है अज़ल ता-ब-अबद बीचों-बीच भीड़ है ता-ब-कराँ बे-सर-ओ-सामानी है एक अम्बोह है मंज़िल के लिए सरगर्दां शहर है दश्त-ए-गुमाँ बे-सर-ओ-सामानी है एक परकार से कुछ दाएरे हैं खींचे हुए और चलता है जहाँ बे-सर-ओ-सामानी है मैं किसी डाल पे बैठा हुआ तन्हा पंछी उस के हाथों में कमाँ बे-सर-ओ-सामानी है