दश्त में आग लगाने के लिए पानी है तू मिरी प्यास बढ़ाने के लिए पानी है मुझ को इक अहद की मय्यत पे घड़ा फोड़ना है सो मिरे पास ज़माने के लिए पानी है तेरी तस्वीर बनाने में लहू सूख गया तेरी तस्वीर मिटाने के लिए पानी है हम ये कहते हैं कि इंसानी बदन है मिट्टी सो उसे ताब में लाने के लिए पानी है तेरी दुनिया मिरी दुनिया से अलग हो शायद याँ तो हर नक़्श मिटाने के लिए पानी है