दश्त-ए-बे-आब की तरह गुज़री ज़िंदगी ख़्वाब की तरह गुज़री चश्म-ए-पुर-आब से तिरी ख़्वाहिश रक़्स-ए-महताब की तरह गुज़री एक सूरत को ढूँडते हर शब चश्म-ए-बे-ख़्वाब की तरह गुज़री हिज्र की अंजुमन से हर साअ'त अश्क-ए-बे-ताब की तरह गुज़री दास्ताँ मेरी इस कहानी के अन-पढ़े बाब की तरह गुज़री दिल के दरिया से हर ख़ुशी 'अमजद' एक गिर्दाब की तरह गुज़री