दस्तक सी ये क्या थी कोई साया है कि मैं हूँ इक शख़्स मिरी तरह का आया है कि मैं हूँ सब जैसा हूँ लेकिन मिरे तस्वीर-गरों ने चेहरा मिरा इस रुख़ से बनाया है कि मैं हूँ क्या नींद थी वो अपने न होने के नशे की क्यूँ ये मिरे होने ने बताया है कि मैं हूँ मैं हूँ कि हैं मौजूद मिरे देखने वाले ख़ुद मुझ को तो कम कम नज़र आया है कि मैं हूँ मैं हूँ सो ये ख़ुश्बू तिरी आती रही मुझ से कुछ तेरे भी होने से सुझाया है कि मैं हूँ मैं इस में मगन वहम है या ख़्वाब है हस्ती लोगों ने मगर दाम बिछाया है कि मैं हूँ देखूँ तो मिरे अक्स से क्या कहता है दरिया पल-भर को तो लहरों ने बताया है कि मैं हूँ कुछ रंग लगाए भी हैं तस्वीर-गरों ने या हँस के ये काग़ज़ ही उड़ाया है कि मैं हूँ कुछ कम तो नहीं ये मिरे होने की गुमराही इस जुर्म में किस किस ने सताया है कि मैं हूँ