दिल ले के बुराई करते हैं लो और सुनो लो और सुनो फिर ज़िक्र-ए-जुदाई करते हैं लो और सुनो लो और सुनो कभी दैर में हैं कभी काबे में कभी दिल में हैं कभी आँखों में ये बुत भी ख़ुदाई करते हैं लो और सुनो लो और सुनो जो बात भी करते डरते थे कभी आँखें चार न करते थे वो हम से रुखाई करते हैं लो और सुनो लो और सुनो ता-ज़ीसत न पूछी बात कभी अब आ के उठाई लाश मिरी कब व'अदा-वफ़ाई करते हैं लो और सुनो लो और सुनो