दौलत-ए-ख़ुसरवी न देख ताज-ए-सिकंदरी न देख सीरत-ए-बातिनी पे जा सूरत-ए-ज़ाहिरी न देख वादी-ए-दिल-नवाज़ से जिस्म के ग़ार में उतर ज़ौक़-ए-नज़र का वास्ता सूरत-ए-सरसरी न देख एक नज़र की मुंतज़िर बज़्म-ए-क़ज़ा-ओ-क़द्र है मस्त मय-ए-अलस्त में शान-ए-सिकंदरी न देख लाख क़दम क़दम पे हैं राह-ए-वफ़ा में मुश्किलें सब्र को रहनुमा बना रस्म-ए-सितमगरी न देख लाख हरम की घात में आज बुतान-ए-कुफ़्र हैं मिस्ल-ए-कलीम रख नज़र जादू-ए-सामरी न देख हिज्र की आग में जला आठ पहर 'नियाज़' को तुझ को जुनूँ का वास्ता हालत-ए-अबतरी न देख