दयार-ए-दर्द से आया हुआ नहीं लगता मैं अहल-ए-दिल को सताया हुआ नहीं लगता मिरा वजूद जहाँ है वहाँ शुहूद नहीं मैं आ भी जाऊँ तो आया हुआ नहीं लगता ये बात सच है उसी ने मुझे बनाया है मगर मैं कुन से बनाया हुआ नहीं लगता ये बे-हिजाब फ़लक और ये बे-लिबास ज़मीं मुझे तो कुछ भी छुपाया हुआ नहीं लगता है बारिशों में मिलावट कि गर्द आँखों में कोई भी पेड़ नहाया हुआ नहीं लगता मिरी पलेट में ख़िल्क़त की भूक नाचती है इसी लिए मुझे खाया हुआ नहीं लगता मिरी कमर पे लदा है अनाज बच्चों का वो बोझ है कि उठाया हुआ नहीं लगता फ़सुर्दा चेहरा शिकस्ता क़दम झुकी नज़रें ग़रीब बाप कमाया हुआ नहीं लगता धरी है जिस पे तसल्ली की देगची 'वासिफ़' मुझे वो चूल्हा जलाया हुआ नहीं लगता