देख लटका सजन तेरी लट का उस की हर मू-ब-मू में दिल अटका आब-ए-तेग़-ए-निगह के प्यासे कूँ कम-निगाही का मार मत फटका ग़म्ज़ा तेरा अजब सिपाही है जिस की दहशत सूँ बुल-हवस सटका इश्क़ का ज़हर उस सूँ क्यूँ तेरे नाग तुझ ज़ुल्फ़ का जिसे चटका मुस्तइद हैं तेरे यू मर्दुम-ए-चश्म मुझ को अबरू का मारने सट का होश 'दाऊद' का हुआ लट-पट देख कर तेरी नाज़ का लटका